गीत 

गीत


मौत बाँटते दूजों को जो ,
परछाई से डर जाएँ !
निष्ठुर मौत हँसा करती है ,
कोई चंगुल फँस जाए !!


एक दूजे पर रौब जमाते ,
हलका है कोई भारी !
सब अवसर को ताक रहे हैं ,
कब आए किसकी बारी !
जिसके हाथों लगी जीत है ,
इठलाये औ बल खाए !!


किसके दिन कब पूरे होंगे ,
सभी लिफाफे बंद हैं !
नीरस जीवन मिले किसी को ,
किसे मिले मकरंद है !
पल भर में ही सिमटे दुनिया ,
हाथों सब छूटा जाए !!


कोई जहर बाँटता हाथों ,
कोई मारे दंश है !
बगुले घात लगाये बैठे ,
मानो जैसे हंस हैं !
बली दबोचे निर्बल को बस ,
कातर स्वर निकले हाए !!


गले मौत की घँटी बाजे ,
मन में छिड़ता द्वंद है !
किया गलत आँखों के आगे ,
नज़रें होती बंद हैं !
भूले रब को याद करें तब ,
मंद मंद वह मुस्काए !!