महत्वपूर्ण सन्देश...

सोशल मीडिया पर सावधानी बरतें - महत्वपूर्ण सन्देश...


फ़िल्म तानाजी का एक दृश्य है जिसमे तानाजी मालुसरे और उनके सैनिक कुछ मराठो को मुगल समझकर मार गिराते है। कुछ यही हाल फेसबुक और समाज का भी है, अतिकट्टर और क्रोध में आकर एक हिन्दू दूसरे हिन्दू को आहत कर रहा है नतीजा उदयभान जैसे राक्षसों की जीत।
यह पोस्ट एक अम्बेडकरवादी मित्र के आग्रह पर है उनका कहना है कि दलितों के ग्रुप में भयंकर गड़बड़ी है। समूह में जहाँ कभी 500-1000 लोग थे वहाँ अचानक 10 से 15 हजार की बाढ़ आ गयी। इनकी भाषा शैली से लगता नही ये दलित है। उन्होंने ग्रुप का लिंक भेजा, ग्रुप की शुरुआती 10 पोस्ट्स पढ़कर ही आंकलन हो गया कि दलितों के भेष में जेहादी और घरेलू आतंकी संगठन (DTO - कांग्रेस) के कुछ आतंकवादी है।
कुछ दिनों पहले महर्षि वाल्मीकि पर अभद्र टिप्पणी करने वाले सुजीत यादव को जब उत्तरप्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया तो पता चला आईडी फर्जी थी और उसका असल नाम अब्दुल है। जाँच में पता चला कि अब्दुल 117 आईडी हैंडल करता था और ये बंदा अपशब्द कहता था ब्राह्मणों के नाम से दलितों को, दलितों के नाम से क्षत्रियों को, हिन्दी भाषियों के नाम से कन्नड वालो और कन्नड के नाम से तमिल या पूर्वांचल वालो को।
इससे होगा ये की हिन्दू आपस मे लड़ेंगे मरेंगे, हालांकि मुझे नही लगता की ये पोस्ट यदि हर हिन्दू तक पहुँच जाए तो समस्या कोई गम्भीर है, हिन्दुओ को एक बहुत ही परिपक्व दिमाग की आवश्यकता है।
फिलहाल संभाजी ब्रिगेड के नाम से एक ग्रुप है जिसे देखकर आपको लगेगा कि ये तो कट्टर मराठो का ग्रुप है आप ग्रुप में अंदर जाइये सब पाटिल, शिंदे और गायकवाड़ ही मिलेंगे। मगर पोस्ट में हिंदुत्व के खिलाफ भयंकर जहर, वे कह रहे है कि शिवाजी और संभाजी हिंदुत्व के खिलाफ थे अर्थात मराठो को हिन्दू धर्म से तोड़ने की सीधी कोशिश।
हमारे मित्र है केशव भौसले उन्होंने कमेंट बॉक्स में जब पाटिल से आग्रह किया की एक बार औरंगजेब मुर्दाबाद कहे। बस उन्हें ग्रुप से ही निकाल दिया गया।
आशा है आप समझ गए होंगे कि पाटिल की भेष में कौन था? ये होता है फेक आईडी का कमाल, आप जाकर देखेंगे की उसने घरेलू फोटो डाले हुए है, अपनी बहन, बेटी और पत्नी के साथ। केसरिया पगड़ी भी लगाई हुई है मगर जब उस फोटो की सत्यता परखते है तो पता चलता है कि वो फ़ोटो किसी और व्यक्ति का है।
इतना बड़ा भ्रमजाल है ये सोशल मीडिया और ये मराठो का तो सिर्फ उदाहरण है, ऐसे और भी कई उदाहरण भरे पड़े है। दलितों के ग्रुप में 80% मुस्लिम है, यदि आप अम्बेडकरवादी से मिले तो पाएंगे कि उसे बीजेपी और DTO दोनो से नफरत है मगर उनके ग्रुप में सिर्फ बीजेपी विरोधी पोस्ट होती है। कारण सिर्फ एक क्योकि पोस्ट करने वाला या तो एक जेहादी है या फिर DTO का कोई आतंकी।
दलितों को छोड़िए ब्राह्मणों का ग्रुप लीजिए परशुराम सेना, इसमें एक पोस्ट का स्क्रीनशॉट डाला जिसमे किसी राजपूत ने पेशवाओ के प्रति आपत्तिजनक शब्द कहा था। स्क्रीनशॉट सही था मगर डालने वाले की जब आईडी देखी तो एक कवर फ़ोटो में मक्का मदीना दिखाई दे रहा है। बात साफ है ये कोई जेहादी है जिसने बाद में नाम बदल लिया।
बंगाली कायस्थों के ग्रुप में कहा गया कि महाराज कृष्णदेव राय की हत्या विजयनगर में काम कर रहे दलितों ने की थी। पोस्ट करने वाला यही पकड़ा गया क्योकि महाराज की हत्या हुई ही नही थी। मगर इस बहाने कायस्थ दलितों पर भड़क तो सकते है, रही सही कसर हमारे हिंदूवादी भी पूरा कर देते है। ये रिटर्न में अपने ही भाइयो के लिये उल्टी सीधी भाषा प्रयोग करते है।
मैं यह बात अपनी लगभग हर पोस्ट में कहता हूं कि 2014 की हिंदूवादी क्रांति ने कुछ अतिउत्साही मगर पागल हिंदूवादी पैदा कर दिए है। इन्हें कोई होश नही है कहाँ पर क्या कमेंट कर रहे है। अब मै इसे आईडी जेहाद कहु या क्या कहूं मगर इससे निपटने के कुछ तरीके है।
1) किसी भी पोस्ट पर प्रतिक्रिया देने से पहले पोस्टकर्ता की डीपी चेक करें, एक नही बल्कि सभी। यदि 2015 से पहले का कोई अपडेट ना मिले तो समझ लीजिए 90% संभावना है कि अकाउंट फेक है।
2) अब जब भी आप जातिवाद से जुड़ी पोस्ट देखे कमेंट बॉक्स में औरंगजेब मुर्दाबाद अवश्य लिखे यदि उस पर लाइक और प्रतिक्रिया आयी तो ठीक वरना समझ लीजिए तिलक लगाएं कोई कासिम रजवी बैठा है।
3) यदि दो जातियों पर तुलनात्मक पोस्ट कोई तीसरी जाति वाला लिखेगा तो भड़काना आसान नही होगा मगर वही उन दो में से एक दूसरे पर कमेंट करे तो महाभारत होगी ही, उदाहरण ऊपर एक राजपूत द्वारा पेशवा पर की गई टिप्पणी हर हाल में ब्राह्मणों और मराठो को भड़कायेगी ही।
4) परिपक्व बनिए दक्षिण भारतीयों या अन्य जातियों पर कटाक्ष करने से बचे क्योकि आपका कमेंट किस रूप में लिया जाएगा आप नही जानते। हिंदुत्व और भारत को जेहादियो से बचाने के लिए हर राज्य के हिन्दू प्रतिबद्ध है। चूंकि हमें तमिल नही आती इसलिए हम उनके हिंदूवादी ग्रुप नही देख पाते और सोचते है कि तमिल सो रहे है। हिमालय का सारा बोझ हिन्दी भाषियों पर नही है कृपा करके गैर हिन्दी वालो पर भी भरोसा रखे तथा उनकी भाषा का और उनकी संस्कृति का सम्मान करें।
5) विवादित इतिहास पर तर्क करने से बचे उदाहरण के लिये अभी 2 गुजराती और राजस्थानी लड़ रहे थे। गुजरात वालो के लिये भीमदेव सोलंकी देवता तुल्य है और वे मानते है कि सोलंकी ने 1240 तक गुजरात पर शासन किया जबकि राजस्थान वाले पृथ्वीराज रासो को आधार मानते है तथा सोलंकी को दुष्ट कह रहे है।
ये इतिहास के विवादित पृष्ठ जिन्हें इस समय हाथ लगाने का कोई औचित्य नही। इसलिए हर पक्ष का दायित्व है कि हिन्दू प्रथम की भावना को बल दे, यदि हिन्दू धर्म पर संकट आया तो जातिवाद उसकी रक्षा नही कर पायेगा। एक बात समझ लीजिये की दलित DTO तथा मुगलो का विरोध भी करेगा ही करेगा नही करे तो आप अर्थ अच्छे से समझ सकते हैं।